विवरण - प्रस्तुत कविता में उसके आने का विवरण दिया गया है , वह एक ऐसा चित्रण है जिसका वर्णन - मात्र ही पाठकों के अंदर एक रहस्यपूर्ण कथा की उत्कंठा पैदा कर देगा, वह जो भी है पर समय और काल का उसपर वश नहीं ,वह मृत्यु के लिए स्वयं एक काल है, बाकी जानने के लिए कृपया इस कविता को पूरा पढ़ें और हाँ कमेंट सेक्शन में अपने विचार रखना न भूलें , धन्यवाद कविता - शायद, वो लौट आया है .... एक ख़ौफ़ सा छाया है चारों ओर भय का सरमाया है न ही कोई चहल-पहल, बस हर तरफ़ माया है शायद, वो लौट आया है तेज़ आँधियाँ हैं चल रहीं बादल की गरजें भी, उसके किस्से कह रहीं समुन्द्र भी है उथल-पुथल काल-चक्र में कैसी है, ये असमयिक हलचल पशु-पक्षी भी हैं भयभीत खड़े उसके इतिहास के साक्ष्य मौजूद पड़े कुसमय का क्यों फ़ैला है ये उफ़ान बदहाली, गरीबी, दुःख से दहक उठा है आसमान वक़्त की रफ़्तार, नियति की गति सभी हो चुकी हैं शिथिल आलम ऐसा, जैसे मरुस्थल में पड़ा कोई जीव मौत से कर रहा हो तिलमिल शायद ये उसके अस्तित्व...
𝐇𝐞𝐲, 𝐚𝐥𝐥 𝐭𝐡𝐞 𝐩𝐨𝐞𝐦 𝐚𝐞𝐬𝐭𝐡𝐞𝐭𝐞𝐬 𝐨𝐮𝐭 𝐭𝐡𝐞𝐫𝐞 ! 😁 𝑴𝒚𝒔𝒆𝒍𝒇 𝑩𝒊𝒏𝒊𝒕 𝑲𝒖𝒎𝒂𝒓 𝑱𝒉𝒂, 𝐀𝐫𝐞 𝐲𝐨𝐮 𝐫𝐞𝐚𝐝𝐲 𝐭𝐨 𝐝𝐞𝐥𝐯𝐞 𝐝𝐞𝐞𝐩 𝐢𝐧𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐨𝐜𝐞𝐚𝐧 𝐨𝐟 𝐩𝐨𝐞𝐭𝐫𝐢𝐞𝐬. 𝐒𝐨, 𝐠𝐞𝐭 𝐲𝐨𝐮𝐫𝐬𝐞𝐥𝐟 𝐚 𝐜𝐨𝐟𝐟𝐞𝐞 ☕ 𝐚𝐧𝐝 𝐥𝐞𝐭'𝐬 𝐬𝐭𝐚𝐫𝐭 𝐨𝐮𝐫 𝐩𝐨𝐞𝐭𝐢𝐜 𝐣𝐨𝐮𝐫𝐧𝐞𝐲 ✏✍📜......
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